रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर का 16वां दीक्षांत समारोह शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में गरिमामय माहौल में आयोजित हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू-कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उपस्थित रहे, वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में डीआरडीओ के पूर्व चेयरमैन एवं रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. जी. सतीश रेड्डी शामिल हुए। समारोह की अध्यक्षता एनआईटी रायपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. सुरेश हावरे ने की।
कार्यक्रम में निदेशक प्रो. एन. वी. रमना राव, सेनेट और बीओजी के सदस्य, प्राध्यापकगण, प्रशासनिक अधिकारी, अभिभावक एवं छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कुल 1382 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 1055 स्नातक, 278 स्नातकोत्तर और 49 पीएच.डी. विद्यार्थी शामिल हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 54 विद्यार्थियों को स्वर्ण एवं रजत पदक दिए गए। बी.टेक कंप्यूटर साइंस की आर्या श्रीवास्तव को संस्थान की सर्वश्रेष्ठ छात्रा का सम्मान मिला।
सीखना कभी न छोड़ें, जोखिम उठाएँ और नवाचार करें मनोज सिन्हा
मुख्य अतिथि मनोज सिन्हा ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में विद्यार्थियों से आजीवन सीखते रहने, जोखिम उठाने और नवाचार की भावना बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहाँ 111 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स 350 अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन के साथ देश के विकास का नेतृत्व कर रहे हैं।
उन्होंने सफलता के पाँच सूत्र बताए — सीखते रहना, समस्याओं का समाधान करना, निडर नवाचार, टीमवर्क को बढ़ावा देना और परिवर्तन के प्रति लचीलापन अपनाना।
श्री सिन्हा ने शिक्षकों से कहा कि वे विद्यार्थियों के लिए केवल ज्ञानदाता नहीं बल्कि प्रेरक मार्गदर्शक बनें। उन्होंने सभी स्नातकों, अभिभावकों और प्राध्यापकों को बधाई देते हुए एनआईटी रायपुर के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर – डॉ. सतीश रेड्डी
विशिष्ट अतिथि डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि भारत आज आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि भारत शोध प्रकाशनों और पेटेंट दाखिल करने में विश्व में तीसरे स्थान पर है।
डॉ. रेड्डी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का उल्लेख करते हुए देश की स्वदेशी रक्षा तकनीकों की सराहना की और कहा कि भारत अब रक्षा उपकरणों का आयातक नहीं, बल्कि गर्व से निर्यातक देश बन चुका है।
सीखते रहना ही सफलता का मूलमंत्र डॉ. हावरे
अध्यक्ष डॉ. सुरेश हावरे ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में त्रुटियों से न डरें, उनसे सीखें और आगे बढ़ें। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के उद्धरण “उत्तिष्ठत, जाग्रत” का उल्लेख करते हुए युवाओं से कर्मनिष्ठ और अनुशासित रहने का आह्वान किया।
संस्थान रिपोर्ट और पदक वितरण
समारोह के प्रथम सत्र में स्वर्ण एवं रजत पदक विजेताओं को मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि ने सम्मानित किया। द्वितीय सत्र में निदेशक प्रो. एन. वी. रमना राव ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और उपाधियाँ प्रदान कीं। कार्यक्रम का समापन विद्यार्थियों की शपथ और राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।














