वाड्रफनगर के सरकारी स्कूल की तस्वीरों ने हिलाया शिक्षा तंत्र
संजय रजक अंबिकापुर/वाड्रफनगर। माता-पिता अपने बच्चों को इस उम्मीद से स्कूल भेजते हैं कि वे पढ़-लिखकर तरक्की करें… लेकिन सोचिए, जब उन्हीं बच्चों के भविष्य निर्माता—यानी शिक्षक—ही गलत पढ़ाने लगें, तो उन नन्हे सपनों का क्या होगा? वाड्रफनगर से सामने आई तस्वीरें प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं।
क्लास में मास्टरजी की स्पेलिंग गलती, बच्चे कर रहे वही रट
ये तस्वीरें हैं वाड्रफनगर विकासखंड के कोगवार गांव स्थित प्राथमिक शाला मचानडांड़ की। यहां कक्षा में पढ़ाई का स्तर देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा।
शिक्षक बच्चों को अंग्रेजी के दिनों के नाम लिखवा रहे थे, लेकिन बोर्ड पर लिखी गई स्पेलिंग खुद ही गलत थी।
“Sunday” की जगह “Sanday”
“Wednesday” की जगह “Wensday”
मासूम छात्र वही गलत स्पेलिंग दोहरा रहे थे, कॉपियों में उतार रहे थे… यानी शुरुआत से ही बच्चे गलत सीखने को मजबूर हैं।
बॉडी पार्ट्स से लेकर Mother-Father तक, सब गलत लिखा
दूसरी पंक्ति में शिक्षक बच्चों को बॉडी पार्ट्स पढ़ा रहे थे, लेकिन यहां भी गलतियां भरी थीं—
Nose = Noge
Ear = Eare
Eye = Iey
इतना ही नहीं, “Mother”, “Father”, “Brother” और “Sister” जैसे बेसिक शब्दों की भी गलत स्पेलिंग बच्चों को लिखवा दी गई। क्लासरूम में पढ़ाई की जगह गलतियों का अंबार लगा था, और शिक्षक खुद पूरी तरह अनजान।
एक शिक्षक शराब के नशे में आता है, दूसरा गलत पढ़ाता है
स्कूल में कुल 42 बच्चे पढ़ते हैं। सरकार ने यहां दो शिक्षक नियुक्त किए हैं। ग्रामीणों और बच्चों के मुताबिक —
शिक्षक कमलेश पंडो अक्सर नशे में स्कूल आते हैं और क्लास में ही सो जाते हैं।
दूसरे शिक्षक बच्चों को गलत स्पेलिंग रटवा रहे हैं।
ग्रामीणों ने कई बार शिक्षा विभाग और पंचायत से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
लाखों खर्च के बावजूद फेल मॉनिटरिंग
प्रदेश में अंग्रेजी शिक्षण के लिए हर साल लाखों रुपये के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। सरकार ने शंकुल स्तर पर CAC की नियुक्ति भी की है ताकि शिक्षण की गुणवत्ता पर नजर रखी जा सके, लेकिन मचानडांड़ स्कूल की यह तस्वीर बताती है कि मॉनिटरिंग पूरी तरह फेल है।
शासन एक तरफ शिक्षा सुधार, स्मार्ट क्लास और डिजिटल लर्निंग की योजनाओं का दावा करता है, दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में शिक्षक बेसिक स्पेलिंग तक सही नहीं जानते। ऐसे में “पढ़े छत्तीसगढ़, बढ़े छत्तीसगढ़” जैसे नारे सिर्फ कागजों में अच्छे लगते हैं।
वाड्रफनगर से सामने आए ये हालात बताते हैं कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था में तत्काल सुधार की जरूरत है। अगर विभाग अब भी नहीं जागा, तो इन मासूम बच्चों का भविष्य अंधकार में खो जाएगा।














