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टीकाकरण में देरी से हो सकता है ब्रेन फीवर का खतरा : डॉ. कनक

रायपुर। मेनिन्जाइटिस, जिसे ब्रेन फीवर के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर तथा टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारी है, जो खासकर बच्चों के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। हर वर्ष 5 अक्टूबर को विश्व मेनिन्जाइटिस दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके समय पर पता लगाने तथा टीकाकरण के माध्यम से रोकथाम के महत्व को उजागर करना है। हर वर्ष विश्वभर में करीब 25 लाख मामले सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 70प्रतिशत मौतें पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होती हैं, जो इसे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनाता है।
डॉ. कनक रमनानी, कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन एवं नियोनेटोलॉजिस्ट, ममता सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मोवा, रायपुर, कहते हैं, “समय पर टीकाकरण बेहद जरूरी है। यह जान बचाता है, अपंगता से बचाता है और समुदाय की सुरक्षा बढ़ाता है। जितने अधिक लोग सुरक्षित होंगे, हमारी समुदाय उतनी ही सुरक्षित होगी।”
मेनिन्जाइटिस या ब्रेन फीवर, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्ली (मेनिन्जीस) में सूजन के कारण होता है। यह बैक्टीरिया, फंगस या वायरस संक्रमण की वजह से हो सकता है। इसके लक्षण संक्रमण के प्रकार, बीमारी की गंभीरता (तीव्र, उपतीव्र या जीर्ण), मस्तिष्क पर प्रभाव (मेनिंगो-एन्सेफलाइटिस) और अन्य जटिलताओं (जैसे सेप्सिस) के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। मुख्य लक्षणों में गर्दन में अकड़न, बुखार, भ्रम या मानसिक स्थिति में बदलाव, तेज सिरदर्द, मतली और उल्टी शामिल हैं। कभी-कभी दौरे, कोमा और तंत्रिका संबंधी समस्याएं जैसे सुनने या देखने की क्षमता में कमी, मानसिक दुर्बलता या हाथ-पैरों में कमजोरी भी देखी जाती है।
भारत, मेनिन्जाइटिस से होने वाली मौतों के मामलों में विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल है। तीव्र जीवाणुजनित मेनिन्जाइटिस के तीन प्रमुख रोगजनकों में से नेइसेरिया मेनिन्जाइटिडिस की वजह से मृत्यु दर उपचार के बावजूद 15प्रतिशत तक और बिना उपचार के 50प्रतिशत तक हो सकती है।
अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि भारतीय बच्चों, विशेषकर 2 वर्ष से कम उम्र में नेइसेरिया मेनिन्जाइटिडिस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। कॉलेज के छात्र, बार-बार यात्रा करने वाले लोग और भीड़भाड़ वाले स्थानों में रहने वाले व्यक्तियों में गंभीर मेनिन्जाइटिस का खतरा अधिक होता है,” कहते हैं
इस घातक बीमारी से बचाव के लिए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने मेनिंगोकोकल वैक्सीन की 2-डोज योजना 9–23 महीने के बच्चों के लिए और 2 वर्ष से अधिक आयु के उच्च जोखिम वाले बच्चों के लिए एक खुराक की सिफारिश की है। यदि आपका बच्चा 9 महीने या उससे अधिक आयु का है, तो सुनिश्चित करें कि उसे इनवेसिव मेनिंगोकोकल डिजीज से बचाने वाला टीका अवश्य लगाया जाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी वर्ष 2030 तक जीवाणुजनित मेनिन्जाइटिस महामारी को समाप्त करने और टीके से रोके जा सकने वाले मामलों में 50प्रतिशत की कमी तथा मौतों में 70प्रतिशत की कमी लाने के उद्देश्य से एक वैश्विक रोडमैप जारी किया है।
विश्व मेनिन्जाइटिस दिवस के अवसर पर आइए हम अपने बच्चों और समुदाय की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हों। आज उठाए गए कदम कल अनगिनत जीवन बचा सकते हैं और सभी के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

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