डस्ट के गुबार और जर्जर सड़क से त्रस्त ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
संजय रजक सूरजपुर। करंजी रेलवे साइडिंग में सोमवार सुबह तब तनाव की स्थिति बन गई, जब आसपास के आधा दर्जन से अधिक गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने चक्का जाम कर कोयला साइडिंग बंद कराने की मांग उठाई। ग्रामीणों का कहना है कि कोयला ट्रांसपोर्टर और ठेकेदार द्वारा कोयले में डस्ट मिलाकर बाहर भेजा जा रहा है, जिससे लगातार धूल का गुबार उठ रहा है और क्षेत्र का वातावरण दूषित हो रहा है।
डस्ट व जर्जर सड़क से परेशान ग्रामीणों ने खोला मोर्चा
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में ट्रक करंजी साइडिंग में पहुंचते हैं। भारी वाहन चालू रहने से सड़कों की हालत जर्जर हो चुकी है। धूल की मोटी परत घरों और खेतों तक फैल जाती है, जिससे लोग श्वांस संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। कई बार शिकायत के बावजूद किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई, जिससे मजबूर होकर ग्रामीणों ने सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराया है।
दोनों ओर ट्रकों की लंबी कतारें, यातायात हुआ बाधित
चक्का जाम शुरू होते ही सड़क के दोनों तरफ ट्रकों की लंबी कतारें लग गईं। कोयला लोडिंग और परिवहन पूरी तरह ठप हो गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक सड़क सुधार, डस्ट नियंत्रण और कोयला ट्रांसपोर्टेशन में पारदर्शिता की व्यवस्था नहीं की जाती, आंदोलन जारी रहेगा।
करंजी रेलवे साइडिंग का मामला
कोयला खदानों से प्रतिदिन हजारों टन कोयला लेकर ट्रक करंजी रेलवे साइडिंग पहुंचते हैं। यहां कोयले की लोडिंग- अनलोडिंग होती है। ग्रामीणों का कहना है कि अव्यवस्थित संचालन और लापरवाही से क्षेत्र पर्यावरणीय संकट की ओर बढ़ रहा है। ग्रामीणों का आंदोलन जारी है और प्रशासनिक अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।














